1 thought on “निम्न दोहे की संदर्भ सहित व्याख्या लिखिए:-<br />निंदक नेड़ा राखिये, आंगणि कुटी बंधाइ।<br />बिन सावण पांणी बिना, निरमल करै सुभाइ ।।”
Mast
Explanation:
ये कबीर दास जी द्वारा रचित एक दोहा है, सही दोहा इस प्रकार है… निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय। बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।। अर्थ: अपनी निंदा और आलोचना करने के हमेशा अपने साथ रखों, क्योंकि वो आपके दोषों को बताते रहेंगे, जिससे आपको अपनी गलती पता चले और आप स्वयं में सुधार कर सको।
Mast
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ये कबीर दास जी द्वारा रचित एक दोहा है, सही दोहा इस प्रकार है… निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय। बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।। अर्थ: अपनी निंदा और आलोचना करने के हमेशा अपने साथ रखों, क्योंकि वो आपके दोषों को बताते रहेंगे, जिससे आपको अपनी गलती पता चले और आप स्वयं में सुधार कर सको।