एक स्वचारित कविता लिखे पक्षी पर।

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Kaylee

1 thought on “एक स्वचारित कविता लिखे पक्षी पर।<br /><br />no स्पैम<br />स्पैम= रिपोर्टेड।<br />कृपया अभी भेजिए।​”

  1. Answer:

    छी बोला

    संध्या की उदास बेला, सूखे तरुपर पंछी बोला!

    आँखें खोलीं आज प्रथम, जग का वैभव लख भूला मन!

    सोचा उसने-”भर दूँ अपने मादक स्वर से निखिल गगन!“

    दिन भर भटक-भटक कर नभ में मिली उसे जब शान्ति नहीं,

    बैठ गया तरु पर सुस्ताने, बैठ गया होकर उन्मन!

    देखा अपनी ही ज्वाला में

    झुलस गई तरु की काया;

    मिला न उसे स्नेह जीवन में,

    मिली न कहीं तनिक छाया।

    सोच रहा-”सुख जब न विश्व में, व्यर्थ मिला ऐसा चोला।“

    संध्या की उदास बेला, सूखे तरु पर पंछी बोला।

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