दूत सरी जगत् के जीर्ण पत्त,
है खास्त च्वस्त, है शुष्क शीणी”​

By Eva

दूत सरी जगत् के जीर्ण पत्त,
है खास्त च्वस्त, है शुष्क शीणी”​

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Eva

1 thought on “दूत सरी जगत् के जीर्ण पत्त,<br />है खास्त च्वस्त, है शुष्क शीणी”​”

  1. Explanation:

    द्रुत झरो जगत के जीर्ण पत्र -सुमित्रानंदन पंत

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