2 thoughts on “प्र:- कबीर जीने अपनी साखी में कौन सी भाषा का प्रयोग किया है?”
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कबीर की साखियाँ सधुक्कड़ी भाषा में लिखी गई है। कबीर की साखियाँ जनमानस को जीने की कला सिखाती है। कबीर की भाषा में अवधी,पंजाबी,ब्रज, राजस्थानी आदि भाषाओं का समिश्रण है। कबीर ने अपनी साखियों में रोजमर्रा की वस्तुओं को उपमा के तौर पर इस्तेमाल किया है।
कबीर की साखियाँ सधुक्कड़ी भाषा में लिखी गई है। कबीर की साखियाँ जनमानस को जीने की कला सिखाती है। कबीर की भाषा में अवधी,पंजाबी,ब्रज, राजस्थानी आदि भाषाओं का समिश्रण है।
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कबीर की साखियाँ सधुक्कड़ी भाषा में लिखी गई है। कबीर की साखियाँ जनमानस को जीने की कला सिखाती है। कबीर की भाषा में अवधी,पंजाबी,ब्रज, राजस्थानी आदि भाषाओं का समिश्रण है। कबीर ने अपनी साखियों में रोजमर्रा की वस्तुओं को उपमा के तौर पर इस्तेमाल किया है।
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कबीर की साखियाँ सधुक्कड़ी भाषा में लिखी गई है। कबीर की साखियाँ जनमानस को जीने की कला सिखाती है। कबीर की भाषा में अवधी,पंजाबी,ब्रज, राजस्थानी आदि भाषाओं का समिश्रण है।