1 thought on “पत्र-अपने चचेरे भाई को पत्र लिखिए जिसमें जब आप कक्षा में नकल करते हुए पकड़े गए तब आपको कैसा अनुभिव हुआ तथा आपने मन में क्या निश्चय”
चचेरे भाई को पत्र
Explanation:
राजदीप बंगला,
निद्रम लेन,
कृष्णनगर,
राजस्थान।
दिनांक: १० जून,२०२१
प्रिय भाई निमिष,
नमस्ते।
मैं यहाँ ठीक हूँ और आशा करता हूँ कि तुम सभी ठीक होंगे।
परीक्षा का काल चल रहा है। ऐसे समय में मुझे एक किस्सा याद आया है जो मैं तुम्हें बताना चाहूँगा।
दरअसल, मैं आठवीं कक्षा में था। गणित की परीक्षा थी। मुझे कुछ प्रश्न नही आ रहे थे। मेरे आगेवाले सीट पर मेरा होशियार मित्र हरमीत बैठता था।
मैंने उससे मदद मांगी और उसने मुझे अपना पेपर दिखाना शुरू कर दिया। मैं चतुराई से नकल कर रहा था। तभी, पीछे से मेरी शिक्षिका ने मुझे जोरदार तमाचा मारा।
मेरे आंखों से आँसू निकलने लगे। मुझे शिक्षिका प्राधानाचार्य के ऑफिस में लेकर चली गई। प्राधानाचार्यने मुझे बहुत डांट लगाई और मेरी शिकायत माता पिता से कर डाली।
घर आने के बाद पापा ने मेरी पिटाई की। उस दिन बाद मैंने यह निश्चय किया कि मैं फिर से जिंदगी में कभी भी नकल नही करूँगा।
चचेरे भाई को पत्र
Explanation:
राजदीप बंगला,
निद्रम लेन,
कृष्णनगर,
राजस्थान।
दिनांक: १० जून,२०२१
प्रिय भाई निमिष,
नमस्ते।
मैं यहाँ ठीक हूँ और आशा करता हूँ कि तुम सभी ठीक होंगे।
परीक्षा का काल चल रहा है। ऐसे समय में मुझे एक किस्सा याद आया है जो मैं तुम्हें बताना चाहूँगा।
दरअसल, मैं आठवीं कक्षा में था। गणित की परीक्षा थी। मुझे कुछ प्रश्न नही आ रहे थे। मेरे आगेवाले सीट पर मेरा होशियार मित्र हरमीत बैठता था।
मैंने उससे मदद मांगी और उसने मुझे अपना पेपर दिखाना शुरू कर दिया। मैं चतुराई से नकल कर रहा था। तभी, पीछे से मेरी शिक्षिका ने मुझे जोरदार तमाचा मारा।
मेरे आंखों से आँसू निकलने लगे। मुझे शिक्षिका प्राधानाचार्य के ऑफिस में लेकर चली गई। प्राधानाचार्यने मुझे बहुत डांट लगाई और मेरी शिकायत माता पिता से कर डाली।
घर आने के बाद पापा ने मेरी पिटाई की। उस दिन बाद मैंने यह निश्चय किया कि मैं फिर से जिंदगी में कभी भी नकल नही करूँगा।
तुम भी परीक्षा में कभी नकल मत करना।
तुम्हारा भाई,
सिद्धार्थ।