ii)शोक की घडी में धनी व्यक्त के साथ समाज भी उसके शोक में द्रवित होता है,जबकि निर्धन व्यक्ति पर
गोंIN कीजि​

ii)शोक की घडी में धनी व्यक्त के साथ समाज भी उसके शोक में द्रवित होता है,जबकि निर्धन व्यक्ति पर
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Reagan

2 thoughts on “<br />ii)शोक की घडी में धनी व्यक्त के साथ समाज भी उसके शोक में द्रवित होता है,जबकि निर्धन व्यक्ति पर<br />गोंIN कीजि​”

  1. ¿ शोक की घडी में धनी व्यक्ति के साथ समाज भी उसके शोक में द्रवित होता है, जबकि निर्धन व्यक्ति पर कटाक्ष किए जाते हैं, ऐसा क्यों ?

    ✎… शोक की घड़ी में धनी व्यक्ति के साथ समाज भी उसके शोक में द्रवित हो जाता है, जबकि निर्धन व्यक्ति के शोक में लोग उस पर तरह-तरह के व्यंग्य और कटाक्ष करते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि इस समाज की संवेदनाएं व्यक्ति की हैसियत और पोशाक के आधार पर तय होती हैं।

    सुखी संपन्न व्यक्ति का अनुसरण सब करना चाहते हैं और उसके चाहे जैसा ही बनना चाहते हैं, इसलिए उसकी संवेदनाएं के साथ खड़े होने का दिखावा करते हैं। जबकि निर्धन व्यक्ति के साथ का अनुसरण कोई नहीं करना चाहता और निर्धन व्यक्ति का सब दमन करना चाहते हैं।

    समाज के लोगों की यह मनोवृति रहती है कि लोग अपने से कमजोर व्यक्ति का दमन करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। इसी कारण जब कोई धनी व्यक्ति के साथ कोई शोकाकुल घटना हो जाती है तो लोग उसके सुख में संवेदना व्यक्त करने का दिखावा करते हैं. जबकि निर्धन व्यक्ति के साथ उसकी हैसियत और पोशाक के कारण उन्हें कोई संवेदना नहीं होती तो उसका दुख भी उन्हें दुख नजर नहीं आता।

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    इस पाठ के कुछ और प्रश्न —▼

    दुख का अधिकार पाठ के अनुसार लेखक और बुढ़िया के बीच संवाद लेखन लिखिए

    https://brainly.in/question/40204329

    दुख का अधिकार कहानी का मूल भाव

    https://brainly.in/question/8746023

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