मुखतसर सा गुरूर भी जरूरी है जीने के लिये बागी इतना भी झूक के ना मिलो कि दुनिया पीठ को पायदान बना लेती है!!
Gυrjαr​

मुखतसर सा गुरूर भी जरूरी है जीने के लिये बागी इतना भी झूक के ना मिलो कि दुनिया पीठ को पायदान बना लेती है!!
Gυrjαr​

About the author
Isabelle

1 thought on “मुखतसर सा गुरूर भी जरूरी है जीने के लिये बागी इतना भी झूक के ना मिलो कि दुनिया पीठ को पायदान बना लेती है!!<br />Gυrjαr​”

Leave a Comment