सुलग पड़ी थी अपनी झाँसी,
एक हुए सब भारतवासी,
उत्तर-दक्षिण मथुरा काशी,
भय से दहल उठा हर वासी।
पहन बसंती चोला, क

सुलग पड़ी थी अपनी झाँसी,
एक हुए सब भारतवासी,
उत्तर-दक्षिण मथुरा काशी,
भय से दहल उठा हर वासी।
पहन बसंती चोला, किसने फाँसी गले लगाई?
आजादी के अफ़सानों की बात सुनो रे भाई..।
क. कविता में किसके अफ़सानों की बात की गई हैं ?
ख. आजादी शब्द में किस प्रत्यय का प्रयोग हुआ ?
ग. कौन-कौन सी दिशाएँ दहल उठी थीं?
घ. इन पंक्तियों में कौन-सा राज्य सुलग पड़ा था ?​

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Daisy

2 thoughts on “सुलग पड़ी थी अपनी झाँसी,<br />एक हुए सब भारतवासी,<br />उत्तर-दक्षिण मथुरा काशी,<br />भय से दहल उठा हर वासी।<br />पहन बसंती चोला, क”

  1. Answer:

    क. कविता में लक्ष्मीबाई के अफ़सानों की बात की गई हैं।

    ख. आजादी शब्द में ई प्रत्यय का प्रयोग हुआ ।

    ग. उत्तर और दक्षिण दिशाएँ दहल उठी थीं ।

    घ. इन पंक्तियों में झांसी सुलग पड़ा था ।

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  2. Answer:

    देश प्रेम और देश के लिए कुछ कर गुज़रने का जज़्बा हर नागरिक में होता है। हिंदी सिनेमा ने भी इस मोहब्बत और जज़्बे को बख़ूबी अभिव्यक्त किया है। आज भी देशभक्ति के कई ऐसे गाने हैं जो लोकप्रिय हैं। बदलते वक़्त के साथ इनकी लोकप्रियता में इज़ाफ़ा ही हुआ है। कुछ ऐसे बेशक़ीमती गीत है जो हर नागरिक को वतन के प्रति अपनी मोहब्बत का इज़हार करने के लिए अल्फ़ाज़ देते हैं। आज़ादी स्पेशल में पेश है लोकप्रिय देशभक्ति गीत ‘मेरा रंग दे बसंती चोला माये रंग दे मेरा

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