पुरानी सोच को पुरानी वस्तुओं को किस प्रकार से स्थितियों के वशीभूत होकर मनुष्य में नई चेतना का विकास होता गया?​

पुरानी सोच को पुरानी वस्तुओं को किस प्रकार से स्थितियों के वशीभूत होकर मनुष्य में नई चेतना का विकास होता गया?​

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Serenity

2 thoughts on “पुरानी सोच को पुरानी वस्तुओं को किस प्रकार से स्थितियों के वशीभूत होकर मनुष्य में नई चेतना का विकास होता गया?​”

  1. I ska answer class 8 Ki Hindi book me he

    Explanation:

    प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि की जग के साथ रहकर चलने की और जग से अलग रहने की स्थिति का वर्णन करता है। कवि जानता है कि मनुष्य संसार से अलग नहीं हो सकता। वह जानता है कि वह इस संसार का एक हिस्सा है। अतः वह कितना भी चाहे परन्तु इससे कटकर रहना संभव नहीं है। वह कहीं भी जाएगा, जग उसके साथ ही होगा। उसे इस जग से चाहे कष्ट ही क्यों न मिले लेकिन इससे अलग होना उसके बस की बात नहीं है।

    इस स्थिति से निकलने के लिए उसने एक नया तरीका निकाला है। वह इस जग में रहते हुए भी इसकी उपेक्षा करता है। उसे संसार के लोगों द्वारा कितना भला-बुरा कहा जाता है लेकिन वह उन बातों पर ध्यान ही नहीं देता। उसने अपने अलग व्यक्तित्व तथा जीवन का निर्माण किया हुआ है। वह यहाँ निर्भीकता पूर्वक रहता है। अतः आज वह संसार के साथ रहकर भी उससे अलग हो गया है।

    Page No 8:

    Question 2:

    जहाँ पर दाना रहते हैं, वहीं नादान भी होते हैं- कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा?

    ANSWER:

    कवि ने ऐसा संसार की स्थिति को दर्शाने के लिए कहा होगा। उसके अनुसार यह संसार उसे हैरान परेशान कर देता है। क्योंकि यहाँ पर दो विरोधी प्रवृत्ति के लोग एक साथ रहते हैं। कवि कहता है कि इस संसार में जहाँ चतुर लोग हैं, वही यहाँ पर सीधे तथा मूर्ख लोगों का अस्तित्व भी है। मूर्ख लोगों को ही उल्लू बनाकर यहाँ चतुर लोग अपना काम निकालते हैं। अर्थात यदि मूर्ख न हों, तो चतुर लोगों का अस्तित्व संभव नहीं है। अतः इस संसार में हर प्रकार के लोग साथ रहते हैं। इनमें कुछ अच्छे तथा कुछ बुरे हैं। आपस में विरोधी स्वभाव होने के बाद भी ये साथ ही रहते हैं।

    Page No 8:

    Question 3:

    मैं और, और जग और कहाँ का नाता- पंक्ति में और शब्द की विशेषता बताइए।

    ANSWER:

    प्रस्तुत पंक्ति में ‘और’ शब्द ने तीन बार आकर कवि के भाव को बहुत ही सुंदर रूप से व्यक्त किया है। इस तरह पंक्ति में चमत्कार उत्पन्न हो गया है, जोकि बहुत सुंदर प्रतीत होता है। उदाहरण के लिए यहाँ पर ‘मैं और’ का अभिप्राय कवि के स्वयं के अस्तित्व से है। इससे पता चलता है कि उसका व्यक्तित्व दूसरों से अलग है। दूसरे ‘जग और’ कहकर कवि संसार की विशेषता बताता है कि संसार उससे भिन्न है। अर्थात संसार उसकी भांति नहीं सोचता बल्कि भिन्न प्रकार से सोचता है। तीसरा ‘और’ शब्द कवि तथा संसार के मध्य के अंतर को दर्शाता है। यहाँ पर आया ‘और’ योजक है। इसके साथ ही यह कवि के उस विचार को दर्शा रहा है, जिसमें कवि स्वयं को तथा संसार को अलग-अलग मानता है। इससे पता चलता है कि कवि तथा संसार के मध्य संबंध मैत्रीपूर्ण नहीं है। दोनों साथ रहते हुए भी अलग-अलग हैं।

    अतः ‘और’ शब्द कवि तथ संसार की स्थिति तथा दोनों के संबंधों को बहुत सुंदर तरीके से व्यक्त करता है।

    Page No 8:

    Question 4:

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