पंच परमेश्वर की कहानी में आपके जीवन मूल्यों को अपने जीवन में धारण करना चाहेंगे​

पंच परमेश्वर की कहानी में आपके जीवन मूल्यों को अपने जीवन में धारण करना चाहेंगे​

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Caroline

2 thoughts on “पंच परमेश्वर की कहानी में आपके जीवन मूल्यों को अपने जीवन में धारण करना चाहेंगे​”

  1. Answer:

    जुम्मन शेख अलगू चौधरी में गाढ़ी मित्रता थी। साझे में खेती होती थी। कुछ लेन-देन में भी साझा था। एक को दूसरे पर अटल विश्वास था। जुम्मन जब हज करने गये थे, तब अपना घर अलगू को सौंप गये थे, और अलगू जब कभी बाहर जाते, तो जुम्मन पर अपना घर छोड़ देते थे। उनमें न खाना-पाना का व्यवहार था, न धर्म का नाता; केवल विचार मिलते थे। मित्रता का मूलमंत्र भी यही है। इस मित्रता का जन्म उसी समय हुआ, जब दोनों मित्र बालक ही थे, और जुम्मन के पूज्य पिता, जुमराती, उन्हें शिक्षा प्रदान करते थे। अलगू ने गुरू जी की बहुत सेवा की थी, खूब प्याले धोये। उनका हुक्का एक क्षण के लिए भी विश्राम न लेने पाता था, क्योंकि प्रत्येक चिलम अलगू को आध घंटे तक किताबों से अलग कर देती थी। अलगू के पिता पुराने विचारों के मनुष्य थे। उन्हें शिक्षा की अपेक्षा गुरु की सेवा-शुश्रूषा पर अधिक विश्वास था। वह कहते थे कि विद्या पढऩे ने नहीं आती; जो कुछ होता है, गुरु के आशीर्वाद से। बस, गुरु जी की कृपा-दृष्टि चाहिए। अतएव यदि अलगू पर जुमराती शेख के आशीर्वाद अथवा सत्संग का कुछ फल न हुआ, तो यह मानकर संतोष कर लेना कि विद्योपार्जन में मैंने यथाशक्ति कोई बात उठा नहीं रखी, विद्या उसके भाग्य ही में न थी, तो कैसे आती?

    Explanation:

    HOPE THIS HELP YOU

    MARK AS BRAINLEST

    AND GIVE HEART TO MY ANSWER❤️

    AND FOLLOW

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  2. Answer:

    हाँ

    Explanation:

    हाँ, हम एक सच्चे इंसान बनकर कहानी के सबक को अपने जीवन में इस्तेमाल कर सकते हैं। सच्चे इंसान हमेशा सच कहते हैं।

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