फ़णदर कणदमल बुल्केएक संन्यणसी थे, परन्तुपणरंपररक अथामेंहम उन्हेंसंन्यणसी क्यों िहीं कह सकते?​

फ़णदर कणदमल बुल्केएक संन्यणसी थे, परन्तुपणरंपररक अथामेंहम उन्हेंसंन्यणसी क्यों िहीं कह सकते?​

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Josie

1 thought on “फ़णदर कणदमल बुल्केएक संन्यणसी थे, परन्तुपणरंपररक अथामेंहम उन्हेंसंन्यणसी क्यों िहीं कह सकते?​”

  1. Answer:

    फ़ादर बुल्के अपनी वेशभूषा और संकल्प से संन्यासी थे परंतु वे मन से संन्यासी नहीं थे। … फ़ादर बुल्के को भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग इसलिए कहा गया है क्योंकि वे बेल्जियम के रेश्व चैपल से भारत आकर यहाँ की संस्कृति में पूरी तरह रच-बस गए थे। उन्होंने संन्यासी बन कर भारत में रहने का फैसला किया।

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