उनको प्रणाम कविता के आधार पर उचित करें कि किसी भी देश की वर्तमान और विकास के पीछे उनके देश भर पूर्वजों का बहुमूल्य योगदान होते हैं About the author Nevaeh
Answer: जो नहीं हो सके पूर्ण–काम मैं उनको करता हूँ प्रणाम । कुछ कंठित औ’ कुछ लक्ष्य–भ्रष्ट जिनके अभिमंत्रित तीर हुए; रण की समाप्ति के पहले ही जो वीर रिक्त तूणीर हुए ! उनको प्रणाम ! जो छोटी–सी नैया लेकर उतरे करने को उदधि–पार; मन की मन में ही रही¸ स्वयं हो गए उसी में निराकार ! उनको प्रणाम ! जो उच्च शिखर की ओर बढ़े रह–रह नव–नव उत्साह भरे; पर कुछ ने ले ली हिम–समाधि कुछ असफल ही नीचे उतरे ! उनको प्रणाम ! एकाकी और अकिंचन हो जो भू–परिक्रमा को निकले; हो गए पंगु, प्रति–पद जिनके इतने अदृष्ट के दाव चले ! उनको प्रणाम ! कृत–कृत नहीं जो हो पाए; प्रत्युत फाँसी पर गए झूल कुछ ही दिन बीते हैं¸ फिर भी यह दुनिया जिनको गई भूल ! उनको प्रणाम ! थी उग्र साधना, पर जिनका जीवन नाटक दु:खांत हुआ; या जन्म–काल में सिंह लग्न पर कुसमय ही देहांत हुआ ! उनको प्रणाम ! दृढ़ व्रत औ’ दुर्दम साहस के जो उदाहरण थे मूर्ति–मंत ? पर निरवधि बंदी जीवन ने जिनकी धुन का कर दिया अंत ! उनको प्रणाम ! जिनकी सेवाएँ अतुलनीय पर विज्ञापन से रहे दूर प्रतिकूल परिस्थिति ने जिनके कर दिए मनोरथ चूर–चूर ! उनको प्रणाम ! Reply
Answer:
जो नहीं हो सके पूर्ण–काम
मैं उनको करता हूँ प्रणाम ।
कुछ कंठित औ’ कुछ लक्ष्य–भ्रष्ट
जिनके अभिमंत्रित तीर हुए;
रण की समाप्ति के पहले ही
जो वीर रिक्त तूणीर हुए !
उनको प्रणाम !
जो छोटी–सी नैया लेकर
उतरे करने को उदधि–पार;
मन की मन में ही रही¸ स्वयं
हो गए उसी में निराकार !
उनको प्रणाम !
जो उच्च शिखर की ओर बढ़े
रह–रह नव–नव उत्साह भरे;
पर कुछ ने ले ली हिम–समाधि
कुछ असफल ही नीचे उतरे !
उनको प्रणाम !
एकाकी और अकिंचन हो
जो भू–परिक्रमा को निकले;
हो गए पंगु, प्रति–पद जिनके
इतने अदृष्ट के दाव चले !
उनको प्रणाम !
कृत–कृत नहीं जो हो पाए;
प्रत्युत फाँसी पर गए झूल
कुछ ही दिन बीते हैं¸ फिर भी
यह दुनिया जिनको गई भूल !
उनको प्रणाम !
थी उग्र साधना, पर जिनका
जीवन नाटक दु:खांत हुआ;
या जन्म–काल में सिंह लग्न
पर कुसमय ही देहांत हुआ !
उनको प्रणाम !
दृढ़ व्रत औ’ दुर्दम साहस के
जो उदाहरण थे मूर्ति–मंत ?
जिनकी धुन का कर दिया अंत !
उनको प्रणाम !
जिनकी सेवाएँ अतुलनीय
पर विज्ञापन से रहे दूर
प्रतिकूल परिस्थिति ने जिनके
कर दिए मनोरथ चूर–चूर !
उनको प्रणाम !