3 Attempt a write up on the importance of good and effective parenting based on the story”his first flight” how encouragement and necessity plays a real role in the life of a child(6)
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सदा प्रसन्न रहो। कल माता जी का पत्र आया था। उन्होंने तुम्हारे स्वास्थ्य के संबंध में चिंता व्यक्त करते हुए लिखा था कि तुम बहुत जल्दी-जल्दी बीमार हो जाते हो। अकसर तुम्हें पेट में दर्द या दस्त और उलटी शुरू हो जाती है। तबीयत ठीक न रहने के कारण तुम्हें विद्यालय से भी छुट्टी लेनी पड़ती है। इसका दुष्प्रभाव तुम्हारी पढ़ाई पर भी दिखाई देने लगा है। पिछली कक्षा परीक्षा में तुम गणित और विज्ञान में उत्तीर्ण अंक भी प्राप्त नहीं कर पाए।
तुमने सुना होगा-‘जान है तो जहान है’। पेट की सभी बीमारियों की जड़ त्रुटिपूर्ण आहार और शारीरिक श्रम का अभाव होता है। माँ ने यह भी लिखा था कि मना करने पर भी तुम अपने जेबखर्च के पैसों से पीज्जा, बर्गर मंगा कर खा लेते हो। घर की दाल-रोटी-सब्जी तुम खाना पसंद नहीं करते। फलों के बजाए ‘चिप्स’ और ‘कुरकुरे’ खाते हो। बाहर खेलने नहीं जाते हो। सारा दिन या तो टी०वी० देखते रहते हो या वीडियो-गेम खेलते रहते हो।
प्रिय चंद्रू! सोचकर देखो; यदि स्वास्थ्य का यही हाल रहा, तब न तो तुम शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ पाओगे और न ही कोई अन्य काम-धंधा कर पाओगे। बड़े भैया इंजीनियरिंग और मैं डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही हूँ। क्या तुम अपने भविष्य के वि में कुछ नहीं सोचते?
सबसे पहला काम तो तुम यह करो कि बाजार का अंट-शंट खाना छोड़कर घर का बना पौष्टिक भोजन किया करो। दूध और फल नियमित रूप से लो। दूध न चाहो तो दही खा लिया करो। नियमित व्यायाम किया करो। जब मैं घर पर थी तो तुम नित्य प्रात: मेरे साथ सूर्य-नमस्कार करते थे। शाम को हम बगीचे में घूमने जाते थे। यह क्रम फिर से शुरू कर दो। इन सबसे तुम्हारा संचार बढ़ेगा, स्फूर्ति आएगी और मांसपेशियाँ भी मजबूत होंगी।
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सदा प्रसन्न रहो। कल माता जी का पत्र आया था। उन्होंने तुम्हारे स्वास्थ्य के संबंध में चिंता व्यक्त करते हुए लिखा था कि तुम बहुत जल्दी-जल्दी बीमार हो जाते हो। अकसर तुम्हें पेट में दर्द या दस्त और उलटी शुरू हो जाती है। तबीयत ठीक न रहने के कारण तुम्हें विद्यालय से भी छुट्टी लेनी पड़ती है। इसका दुष्प्रभाव तुम्हारी पढ़ाई पर भी दिखाई देने लगा है। पिछली कक्षा परीक्षा में तुम गणित और विज्ञान में उत्तीर्ण अंक भी प्राप्त नहीं कर पाए।
तुमने सुना होगा-‘जान है तो जहान है’। पेट की सभी बीमारियों की जड़ त्रुटिपूर्ण आहार और शारीरिक श्रम का अभाव होता है। माँ ने यह भी लिखा था कि मना करने पर भी तुम अपने जेबखर्च के पैसों से पीज्जा, बर्गर मंगा कर खा लेते हो। घर की दाल-रोटी-सब्जी तुम खाना पसंद नहीं करते। फलों के बजाए ‘चिप्स’ और ‘कुरकुरे’ खाते हो। बाहर खेलने नहीं जाते हो। सारा दिन या तो टी०वी० देखते रहते हो या वीडियो-गेम खेलते रहते हो।
प्रिय चंद्रू! सोचकर देखो; यदि स्वास्थ्य का यही हाल रहा, तब न तो तुम शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ पाओगे और न ही कोई अन्य काम-धंधा कर पाओगे। बड़े भैया इंजीनियरिंग और मैं डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही हूँ। क्या तुम अपने भविष्य के वि में कुछ नहीं सोचते?
सबसे पहला काम तो तुम यह करो कि बाजार का अंट-शंट खाना छोड़कर घर का बना पौष्टिक भोजन किया करो। दूध और फल नियमित रूप से लो। दूध न चाहो तो दही खा लिया करो। नियमित व्यायाम किया करो। जब मैं घर पर थी तो तुम नित्य प्रात: मेरे साथ सूर्य-नमस्कार करते थे। शाम को हम बगीचे में घूमने जाते थे। यह क्रम फिर से शुरू कर दो। इन सबसे तुम्हारा संचार बढ़ेगा, स्फूर्ति आएगी और मांसपेशियाँ भी मजबूत होंगी।